Wednesday, June 5, 2013


जीना है तो पर्यावरण को बचाना होगा
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पर्यावरण साधारत: हमारे चारों ओर पाया जाने वाला सम्पूर्ण भाग है। जिससे जीवों को शुद्ध भोजन, शुद्ध पानी और शुद्ध हवा मिलता है। मनुष्य और जन्तुओं को पृथ्वी पर जीवित रहने के लिए इन तीन मूलभूत वस्तुओं की आवश्यकता होती है। इसके बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती।
विकास की विभिन्न प्रक्रियाएं जैसे औद्योगीकरण, शहरीकरण एवं वनोन्मूलन के द्वारा लगातार पर्यावरण का ह्रास हो रहा है। आज 60 प्रतिशत विश्व का प्राकृतिक पर्यावरण प्रदूषित हो चुका है। विश्व के अधिकांश भागों में प्रदूषण किसी किसी रूप में फैल चुका है। यदि पर्यावरण ह्रास की दर को कम नहीं किया गया तो भविष्य में शुद्ध हवा, शुद्ध पानी और शुद्ध भोजन मिलना दूभर हो जाएगा। जिसके कारण जीव-जन्तुओं के जीवन पर संकट जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने पर्यावरण की समस्या पर 1970 से ध्यान देना शुरू कर दिया। 5 जून 1972 में आज ही के दिन स्टॉकहोम में मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन शुरू हुआ। यह सम्मेलन 16 जून तक चला। इसी सम्मेलन में 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाए जाने का प्रस्ताव पारित हुआ। सबसे पहला पर्यावरण दिवस 5 जून 1973 को मनाया गया। 1773 के बाद से प्रत्येक वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। पर्यावरण दिवस मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को पर्यावरण एवं पर्यावरण ह्रास के प्रति जागरूक करना है। विश्व के प्रमुख राजनीतिक समूहों का ध्यान पर्यावरणीय समस्याओं की ओर आकर्षित करना है।  लोगों को पृथ्वी पर मौजूद जीवों के महत्व को समझाना है।
इस वर्ष पर्यावरण दिवस मंगोलिया (दक्षिण अफ्रीका) में मनाया जाएगा। इसकी घोषणा 22 फरवरी को नैरोबी में UNEP के जनरल सेक्रेटरी बांकी मूरी द्वारा की गई। मंगोलिया हरित अर्थव्यवस्था अपनाने वाले देशों में अग्रणी है। अर्थव्यवस्था को विकसित करने के साथ-साथ पर्यावरण को सुरक्षित रखना वहां की सरकार का मुख्य उद्देश्य है। वहां पर सौर ऊर्जा के अत्यधिक उपयोग के साथ-साथ वैज्ञानिक विधि से खनन हो रहा ताकि पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो। सौर ऊर्जा के अत्यधिक उपयोग से वायु प्रदूषण को कम किया गया है। सघन वृक्षरोपण कार्यक्रम के द्वारा मरुस्थलीकरण और मृदा अपरदन को नियंत्रित किया गया है। लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इन्हीं पर्यावरणीय मित्र गतिविधियों के कारण मंगोलिया को इस बार पर्यावरण दिवस मनाने के लिए चुना गया। मंगोलिया के प्रेसिडेंट साखिया एल्बेगर्डोज को इन सभी सफल उपयोगी पर्यावरणीय कार्यों के नेतृत्व के लिए यू.एन..पी. चैंपियन ऑफ अर्थ 2012 अवार्ड से नवाजा गया।
इस वर्ष पर्यावरण दिवस की थीम है-सोचो, खाओ, सुरक्षित करो, अपने भोजन व्यर्थ होने से रोको (Thinks, Eat, Save : Reduce Your Food  Print) अत: भोजन से पहले सोचो और पर्यावरण को सुरक्षित करने में मदद करो।
हमें भोजन का चुनाव इस प्रकार करना चाहिए कि उसमें प्राकृतिक कार्बनिक पदार्थ हो, रसायनों की उपस्थिति कम हो, ताजे हों और आस-पास उपलब्ध हों। दुनिया के दूसरे कोने से आने वाले भोजन ताजे नहीं सकते और उनके आने के माध्यम से प्रदूषण भी होगा। जो पर्यावरण को और मानव  स्वास्थ्य दोनों को नुकसान पहुंचाएगा। 
FAO (Food and Agriculture Organisation) का अनुमान है कि विश्व में 1 से 3 बिलियन टन भोजन प्रति वर्ष बर्बाद हो जाता है और इतनी ही मात्रा में भोजन उप-सहारा अफ्रीकी उपमहाद्वीप में प्रतिवर्ष पैदा होता है। प्रति दिन सात में से एक इंसान भूखा सोने को मजबूर है। पांच वर्ष से कम उम्र के 20,000 बच्चे प्रतिदिन भूख से मर जाते हैं।
इस पृथ्वी पर उपस्थित सभी प्राकृतिक संसाधनों पर 7 बिलियन (2050 में 9 बिलियन) लोगों का भोजन उपलब्ध कराने का दबाव है। संसाधन सीमित हैं और उन्हें कम से कम नुकसान पहुंचाए बिना हमें भोजन की उलब्धता के बारे में सोचना है। और यह तभी संभव होगा जब भोजन को व्यर्थ न किया जाए। यही मुख्य उद्देश्य इस वर्ष के पर्यावरण दिवस का है जिसे हम सभी को मिलकर सफल बनाना है।
अत: हम लोग संकल्प लें कि हमें भोजन व्यर्थ होने से रोकना है जिससे वह दूसरे जरूरतमंद को उपलब्ध हो सके। जिससे जरूरतें कम हों, धन की बचत हो एवं पर्यावरण को नुकसान कम से कम हो।